महाकवि तुलसी दास के त्याग, तपस्या और जीवन पर दिया व्याख्यान

महाकवि तुलसी दास के त्याग, तपस्या और जीवन पर दिया व्याख्यान
छिंदवाड़ा
01-Aug-25
हिंदी प्रचारिणी समिति ने मनाई तुलसी जयंती

छिंदवाड़ा

1935 से सतत सक्रिय हिंदी प्रचारिणी समिति न केवल भाषा के प्रचार-प्रसार का केंद्र रही है, बल्कि यह एक ऐसा मंच भी है जहाँ समय-समय पर महान विभूतियाँ अपने अमूल्य विचारों और अनुभवों से हमें समृद्ध करती रही हैं। तुलसीदास जयंती के अवसर पर समिति द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के वर्धा से डॉ. कुमुद शर्मा उपस्थित थीं। इस अवसर पर उन्होंने उद्बोधन दिया। उनके उद्बोधन ने ऐसा समा बांधा की पूरे सभागार में अद्भुत शांति और जिज्ञासा का वातावरण बन गया। 


उन्होंने रामचरितमानस की गहराई और गोस्वामी तुलसीदास जी की तपस्या, त्याग व विचारों को जिस भाव और सरलता से प्रस्तुत किया, वह मन को छू लेने वाला था। उनके शब्दों ने मानो आत्मा को जाग्रत कर दिया और हिंदी भाषा की गहराई को एक बार फिर से महसूस कराया। अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने कहा कि आज मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकती हूँ हिंदी ही वह सेतु है जो पूर्व और पश्चिम को एक सूत्र में बांधती है।
इस सफल आयोजन के लिए हृदय से धन्यवाद हिंदी प्रचारिणी समिति के अध्यक्ष शिवकुमार, उपाध्यक्ष प्रणय नामदेव मंत्री श्याम सुंदर चांडक,साहित्य सचिव शैलेन्द्र तिवारी, नवनीत व्यास, प्रफुल्ल बाकलीबाल और उनकी कर्मठ टीम को, जिनके अथक प्रयासों से यह आयोजन अत्यंत गरिमामय और सफल रहा।
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