विद्यार्थियों ने शिविर में अधिकारों के साथ कैरियर की संभावनाएं तलाशी

छिंदवाड़ा
06-Aug-25
छिंदवाडा
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं गांगीवाड़ा शासकीय उमा विद्यालय के विवेकानंद कैरियर गाइडेंस प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में जागरूकता कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर न्यायाधीश राकेश सिंह ने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नाबालिग के वाहन चलाते समय होने वाली दुर्घटना पर सजा के प्रावधान बताए। इसके साथ ही एन.डी.पी.सी. एक्ट के तहत गांजा, हेरोइन,अफीम की तस्करी करने पर बालक को मिलने वाली सजा, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, पाक्सो एक्ट, लैंगिक हिंसा, बाल अपराध संरक्षण अधिनियम की जानकारी भी दी। उन्होंने नशा मुक्ति और मोबाइल के असंयमित उपयोग से होने वाली हानियांे पर विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी और जीवन में अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने को कहा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं गांगीवाड़ा शासकीय उमा विद्यालय के विवेकानंद कैरियर गाइडेंस प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में जागरूकता कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर न्यायाधीश राकेश सिंह ने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नाबालिग के वाहन चलाते समय होने वाली दुर्घटना पर सजा के प्रावधान बताए। इसके साथ ही एन.डी.पी.सी. एक्ट के तहत गांजा, हेरोइन,अफीम की तस्करी करने पर बालक को मिलने वाली सजा, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, पाक्सो एक्ट, लैंगिक हिंसा, बाल अपराध संरक्षण अधिनियम की जानकारी भी दी। उन्होंने नशा मुक्ति और मोबाइल के असंयमित उपयोग से होने वाली हानियांे पर विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी और जीवन में अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहने को कहा।

इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियांे ने भी उनसे प्रश्न पूछा। विद्यार्थियों ने पूछा कि न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी आपने कैसे की और न्यायधीश के पद पर पहुंचने के लिए क्या प्रयास करना चाहिए। इस पर उन्होंने कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक और कानून की शिक्षा प्राप्त करने के बाद से ही उन्होंने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था,कि मुझे न्यायाधीश बनना है और बस उसी लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर मेहनत और लगन के साथ अध्ययन करता रहा और सफलता प्राप्त की। आप सब भी न्यायिक सेवाओं के उच्च पदों पर पहुंचने के लिए लक्ष्य का निर्धारण करके,अच्छी रणनीति बनाकर, पाठ्यक्रम के अनुरूप पुस्तकों का चयन कर योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन कर ऊंचा मुकाम हासिल कर सकते हैं।
विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य श्यामल राव ने कहा,कि बच्चों को शाला में पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा के अलावा नैतिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए,जिससे उन्हें जीवन जीने के संस्कार प्राप्त हो सकें। यदि बच्चों में मानवीय मूल्य और संस्कार होंगे,तो वे आपराधिक प्रवृत्ति से भी दूर रहेंगे। पाक्सो एक्ट 2012 की जानकारी देते हुए श्यामल राव ने बताया, यदि कोई किसी बच्चे का भावनात्मक शोषण, शाब्दिक शोषण, मानसिक शोषण या अन्य किसी तरह का शोषण करता है,तो बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना चाहिए और किसी भी तरह की समस्या हो,तो उसके लिए तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1098 पर फोन करना चाहिए,उन्हें तत्काल सहायता प्राप्त होगी। कार्यक्रम का संचालन धीरेंद्र दुबे ने किया। इस अवसर पर विधिक सेवा प्राधिकरण से न्यायाधीश राकेश सिंह, प्राचार्य वायएन खान, सदस्य श्यामल राव, पी एल वी यशोदा सूर्यवंशी ,ग्राम के गणमान्य नागरिक हरीश सोनी, श्रीराम राव, अरुण डेहरिया पूर्व सरपंच, अब्दुल सत्तार खान उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में कैरियर गाइडेंस प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ.एस.शर्मा और समस्त शाला परिवार ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया।